इंटरमिनेंट फास्टिंग ब्लडप्रेशर, डायबिटीज ही नहीं दिल की सेहत के लिए सही है,

भोजन के बीच ज्यादा अंतराल यानी इंटरमिनेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) शरीर और मस्तिष्क के 22 जीन को प्रभावित करती है।

स्वास्थ्य और फिटनेस की दुनिया में लोगों के बीच इंटरमिनेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) को काफी ज्यादा पसंद किया जाता है। लोग इसका उपयोग वजन कम करने, अपने स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए करते हैं। यह एक खाने का पैटर्न है जिसमें आप खाने और उपवास की अवधि के बीच का अंतर तय करते हैं। इसके कई तरीके हैं, जिनमें से सभी दिन या सप्ताह में भोजन व उपवास की अवधि में विभाजित करते हैं।

वैज्ञानिक का कथन

भोजन के बीच ज्यादा अंतराल यानी इंटरमिनेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) शरीर और मस्तिष्क के 22 जीन को प्रभावित करती है। यह उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग के इलाज में कारगर है। अमेरिकी वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में इसकी पुष्टि की गई है। इस अध्ययन को सेल मेटाबॉलिज्म जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

भोजन के बीच ज्यादा अंतराल आज कल चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर कई अध्ययन किए जा चुके हैं। लेकिन, यह शरीर के किन कारकों को और कैसे प्रभावित करता है। इसे अच्छी तरह से नहीं समझा जा सका था। इसे देखते हुए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चूहों पर अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि इस प्रक्रिया के माध्यम से जीन सक्रिय होते हैं और प्रोटीन बनाते हैं। जो रोगों के खिलाफ प्रतिक्रिया करते हैं।

वैज्ञानिक का अध्ययन

दो समूहों में किए गए अध्ययन के लिए चूहों के दो समूहों को समान उच्च कैलोरी वाला आहार दिया गया। एक समूह को हर समय भोजन खाने की सुविधा दी गई। वहीं, दूसरे समूह को प्रत्येक दिन नौ घंटे की फीडिंग विंडो के भीतर खाने तक सीमित रखा गया था। सात हफ्तों के बाद 22 अंगों और मस्तिष्क से ऊतक के नमूने एकत्र किए गए। इसमें आनुवंशिक परिवर्तनों के लिए विश्लेषण किया गया। नमूनों में यकृत, पेट, फेफड़े, हृदय, अधिवृक्क ग्रंथि, हाइपोथैलेमस, गुर्दे और आंत के विभिन्न भागों और मस्तिष्क के विभिन्न क्षेत्रों के ऊतक शामिल थे। इसमें समय-प्रतिबंधित खाना खाने वाले 70 फीसदी चूहों के जीन में बदलाव देखा गया।

हार्मोनल असंतुलन मधुमेह का प्रमुख कारण

अग्नाशय में लगभग 40 प्रतिशत जीन समय-प्रतिबंधित भोजन से प्रभावित थे। ये अंग हार्मोनल विनियमन के लिए महत्वपूर्ण हैं। हार्मोन शरीर और मस्तिष्क के विभिन्न भागों में समन्वय का काम करते हैं, और हार्मोनल असंतुलन मधुमेह से लेकर तनाव संबंधी विकारों तक के लिए जिम्मेदार है। वहीं, इससे पाचन तंत्र के सभी हिस्से समान रूप से प्रभावित नहीं हुए थे। जबकि छोटी आंत के ऊपरी दो हिस्सों में शामिल जीन डुओडेनम और जेजुनम भोजन के बीच ज्यादा अंतराल से सक्रिय होते हैं।

कैंसर के इलाज का खुला रास्ता

रीटा और रिचर्ड एटकिन्सन चेयर के वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर सच्चिदानंद पांडा कहते हैं कि हमने पाया कि चूहों में समय-प्रतिबंधित खाने का आणविक प्रभाव हुआ है। इससे मिले नतीजे कैंसर जैसी बीमारियों में शामिल जीन कैसे सक्रिय होते हैं, इस पर अधिक बारीकी से शोध करने का दरवाजा खोलते हैं। भोजन के समय को बदलकर, हम न केवल आंत या यकृत में, बल्कि मस्तिष्क में हजारों जीन में भी जीन को बदलने में सक्षम थे।