झगड़े के बाद न करें ये 3 काम

आपसी नोक-झोंक (Fight) को रिश्ते का खाद-पानी कहा जाता है। चाहे पति-पत्नी का रिश्ता हो या भाई-बहन का या दोस्तों का। जहां प्यार है, वहां झगड़ा, रूठना-मनाना भी लगा रहता है।

COUPLE FIGHTING

आपसी नोक-झोंक (Fight) को रिश्ते का खाद-पानी कहा जाता है। चाहे पति-पत्नी का रिश्ता हो या भाई-बहन का या दोस्तों का। जहां प्यार है, वहां झगड़ा, रूठना-मनाना भी लगा रहता है। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि छोटी-मोटी लड़ाइयां (Fight) रिश्ते को मज़बूत बनाती है। रिश्ते को ज़िंदा रखती हैं, इसलिए हमारा मानना है कि छोटी-मोटी लड़ाइयां रिश्ते के लिए बेहद सेहतमंद होती हैं। आपको लड़ाइयों से नहीं डरना चाहिए, बल्कि उन्हें हैंडल करने, उनसे कुछ पॉज़िटिव निकालने के बारे में सोचना चाहिए। ऐसा होगा, कुछ सामान्य सावधानियां बरतने से. यहां हम चर्चा करने जा रहे हैं, उन तीन कामों को, जो झगड़े के बाद तो आपको भूलकर भी नहीं करने चाहिए।

पहला काम – झूठ-मूठ में सुलह का दिखावा न करें

ज़ाहिर है, जब आपके और पार्टनर के बीच झगड़ा होता है तो सुलह भी होना चाहिए। पर सुलह होना और सुलह का दिखावा करना दो अलग चीज़ें हैं। अगर आप दोनों के बीच सच में ज़्यादा तेज़ नोकझोंक (Fight) हुई है तो ज़ाहिर है सुलह जल्दी और आसानी से नहीं होगी। पर कपल्स अक्सर माहौल को ठंडा करने के लिए सुलह का दिखावा करने लगते हैं। रिलेशनशिप एक्सपर्ट्स की मानें तो इस तरह की दिखावे वाली सुलह आपके रिश्ते के लिए अच्छी नहीं है। देखा जाए तो आप झगड़े का कारण मिटाए बिना ऊपरी तौर पर समझौता कर रहे हैं। यह ऊपरी समझौता अपने नीचे असहजता को बनाए रखेगा, जो आगे चलकर किसी बड़े झगड़े का कारण बन सकता है।

दूसरा काम – मामले को सुझलाने की जल्दबाज़ी न करें

मामले को सुझलाने के लिए बहुत जल्दबाज़ी करना ठीक नहीं होता। अपने पार्टनर को दिमाग़ ठंडा करने का टाइम दें। गर्म दिमाग़ से चीज़ें ठीक नहीं हो पातीं। उस समय तो कुछ ज़्यादा ही बहसबाज़ी होने की संभावना होती है। आप दोनों जिन मुद्दों की उम्मीद नहीं करते, वे भी बहस का हिस्सा बन सकती हैं। जब झगड़े का मूड होता है तो हम किसी भी सही बात को भी स्वीकार नहीं करते इसलिए मामले को सुलझाने के लिए उसे कुछ समय तक के लिए ऐसे ही छोड़ दें। जब दिमाग़ ठंडा हो तो स्टेप-बाय-स्टेप मामला सुलझाने की कोशिश में लग जाएं।

तीसरा काम – झगड़ा कैसे शुरू हुआ उसपर ज़्यादा फ़ोकस न करें

हममें से ज़्यादातर लोग बहस करते समय इस बात पर ज़्यादा फ़ोकस करते हैं कि आख़िरकार झगड़ा शुरू कहां से हुआ। अगर आप भी ऐसे ही लोगों में हैं तो अपनी इस आदत को बदलने की कोशिश करें। बार-बार झगड़े (Fight) की शुरुआत पर फ़ोकस करने से जल्द ही मामला हाथ से निकल सकता है। कहते हैं ना कि बात करने से बात बनती है, पर झगड़े की शुरुआत वाले मुद्दे पर बात करने से बात बनती नहीं, केवल बढ़ती है। और ज़्यादा ग़ुस्सा आएगा, और पुरानी बातें याद आएंगी, और ज़्यादा ग़लतफ़हमी होगी और रिश्ता और कमज़ोर होगा. तो यह नियम बना लें कि बिना ब्लेम गेम खेले या पुरानी बातें बीच में लाए, मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे।

Source:- Famina