मैकियावेली का जीवन परिचय एवं महत्त्वपूर्ण रचनाएँ

मैकियावेली (Machiavelli) का जन्म फ्लोरेन्स के एक सामान्य कुल में सन् 1469 में हुआ। वह कोई बहुत उच्च शिक्षा तो प्रदान नहीं की लेकिन लेटिन का अच्छा था। वह विभिन्न यूरोपियन देशों में 23 बार दूत नियुक्त हुआ।

1512 ई. में फ्लोरेन्स के गणराज्य में राजनीतिक परिवर्तन के साथ मैकियावेली (Machiavelli) के भाग्य बदला। रेवेना की जंग में स्पेन के मुकाबले फ्रांस की पराजय हुई। इसकी भीषण प्रतिक्रिया फ्लोरेन्स में हुई स्पेन के समर्थकों ने जो फ्लोरेन्स में सत्तारूढ़ हुए, मैकियावेली को अन्य व्यक्तियों के साथ देश से निकाल दिया।

मैकियावेली (Machiavelli) को मेदिची परिवार के शासन के विरुद्ध षड़यंत्र के सन्देह में जेल में डाल दिया। मित्रों के द्वारा उसे जेल से छुटकारा तो मिल गया, किन्तु इस शर्त पर कि वह सार्वजनिक जीवन में कोई भाग नहीं लेगा। जीवन के शेष 15 वर्ष उसने अपने सैन कैशियानो नामक गांव में समाज सेवा और लेखन कार्य करते हुए व्यतीत किए। उसने फ्लोरेन्स का इतिहास लिखने का कार्य भी नाममात्र के वेतन पर प्रारम्भ किया। इस समय इटली की दशा बड़ी अस्थिर और असंगठित थी।

वह न केवल एक अनुभवी कूटनीतिज्ञ एवं प्रशासक था, अपितु इतिहास और राजनीति का महान् लेखक भी था। यद्यपि नगर राज्यों की अस्थिर राजनीति ने उसके कूटनीतिक भविष्य को अस्त-व्यस्त कर दिया था तथापि उसकी लेखनी ने उसे महानतम राजनयिक लेखकों की श्रेणी में प्रस्थापित कर दिया।

Machiavelli

मैकियावेली (Machiavelli) की रचनाएँ

मैकियावेली (Machiavelli) की अधिकांश रचनाएँ (प्रिन्स तथा डिस्कोर्सेज समेत) उसके जीवनकाल में प्रकाशित नहीं हुई थीं। ‘दी प्रिन्स’ उसकी महानतम् कृति है। ‘प्रिन्स’ लोरेंजो को सम्बोधित किया गया है जो कि अर्विनो का था। वैसे तो यह ग्रन्थ 1513 ई. में लिखा गया था, किन्तु इसका प्रकाशन उसके निधन के पांच वर्ष बाद अर्थात् सन् 1532 ई. में हुआ था। इस ग्रन्थ में उल्लिखित विचारों की प्रेरणा बोर्जिया के अपने कौशल, निरंकुशता और कूटनीतिक चालबाजियों के द्वारा बहुत सफलता प्राप्त की थी। इससे वह मैकियावेली के लिए आदर्श शासक बन गया।

इस ग्रन्थ में मध्यकालीन विचार प्रक्रिया के ढंग को त्यागकर विचार और चिन्तन की नई शैली को अपनाया गया। यह ग्रन्थ कुल 26 अध्यायों में विभक्त है जिन्हें तीन भागों में बांटा गया है।

अपने निष्कासन काल में मैकियावेली ने प्राचीन रोमन ग्रन्थों का अनुशीलन करते हुए सुप्रसिद्ध इतिहासविद लिवी द्वारा लिखी गयी रोमन इतिहास की पुस्तक पर इतिहास की दस पुस्तकों पर व्याख्याएँ (Discourses on the First Ten Books on Livy) नामक ग्रन्थ लिखना शुरू किया। इसमें उसका उद्देश्य यह था कि जिस प्रकार उन दिनों प्राचीन साहित्य, कानून और चिकित्साशास्त्र का पुनरुद्धार हो रहा था, वैसे ही प्राचीन काल के शासन और राजनीति के सिद्धान्तों का अध्ययन और वर्तमान राजनीति में उसका उपयोग होना चाहिए। उसने अपने अनुभव और विचारों को पुष्ट करने वाले प्रमाणों को प्राचीन साहित्य से ढूंढकर अपना लेखन कार्य आरम्भ किया।

पीटर सैविगेयर के अनुसार ‘डिस्कोर्सेज आन लिवी’ रोमन गणराज्य की संस्थाओं के उद्भव और विकास पर एक टीका है। पीटर सैविगेयर ने मैकियावेली की दोनों प्रधान रचनाओं की तुलना करते हुए लिखा है- प्रिंस तथा डिस्कोर्सेज की विषय-वस्तु शासक और शासित के आपसी सम्बन्धों से जुड़ी हुई है। पहली रचना मुख्यतया शासक के आवश्यक गुणों पर प्रकाश डालती है जबकि दूसरी रचना में मैकियावेली गणतन्त्राीय शासन विधानों के विकास तथा सार्वजनिक स्वतन्त्रता के रक्षण हेतु आवश्यक उपायों पर प्रकाश डालता है।

मैकियावेली (Machiavelli) की अन्य रचनाओं में “History of Florence“, “Novelle Bafagor Arcidiavolo“, “Act of War” प्रमुख हैं। ‘दी प्रिन्स’ (The Prince) उसकी महानतम् कृति है। प्लेटो, अरस्तु आदि भी अपने काल के शिशु थे। उनका ध्यान भी अपने युग की समस्याओं की ओर आकृष्ट हुआ था। वे भी किसी न किसी रूप में अपने समय की परिस्थितियों से प्रभावित हुए थे। लेकिन, मैकियावेली इन सब बातों में उनसे कहीं अधिक बढ़ा हुआ था। मैकियावेली (Machiavelli) पर अपने समकालीन राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं नैतिक विचारों की छाप सबसे अधिक सुस्पष्ट रूप से अंकित है।

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