सांख्यिकी क्या है? इसके अर्थ, परिभाषा, प्रकार जानिए

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सांख्यिकी (Statistics) वह कार्य पद्धति है जिसमें संख्या के आँकड़ों का संग्रहण, प्रदर्शन, वर्गीकरण और उसके गुणों का आकलन का अध्ययन किया जाता है। सांख्यिकी द्वारा ऐसे परिणाम प्राप्त होते हैं जिनसे विभिन्न दशाओं के बीच कार्य और कारण के सम्बन्ध का स्पष्ट करके एक सामान्य निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके।

सांख्यिकी आंकड़ों का एक विज्ञान है जिसे हम आवश्यक आधार के रूप में कुछ समूह के कुछ संख्यात्मक मापों को संक्षिप्त करने में सहायक है। सामाजिक अनुसंधान के क्षेत्र में सांख्यिकी हालाँकि बहुत महत्वपूर्ण है, फिर भी इसका अतिरिक्त पद्धति के रूप में उपयोग करना ही सही होता है। सांख्यिकी से प्राप्त तथ्यों को अनुसंधानकर्ता की व्यक्तिगत योग्यता द्वारा ही उपयोगी निष्कर्ष के रूप में निरूपित किया जा सकता है। सांख्यिकी (Statistics) की उपयोगिता एवं महत्व बढता जा रहा है।

सांख्यिकी का अर्थ

सांख्यिकी अंग्रेजी के शब्द ‘statistics’ के हिंदी अर्थ है, जो लैटिन शब्द ‘status’, इटालियन शब्द ‘statista’ या जर्मन शब्द ‘statistik’ से लिया गया है। इन शब्दों का अर्थ राज्य है। साख्यिकी का शाब्दिक अर्थ है संख्या से संबंधित शास्त्र। इस प्रकार विषय के रूप में सांख्यिकी ज्ञान की वह शाखा है जिसका संबंध संख्याओं या संख्यात्मक आंकड़ों से हो। सांख्यिकी सिद्धान्तों को वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत करने का श्रेय जर्मन विद्वान गाॅटफ्रायड एचेनवाल को है इसी कारण एकेनवेल को सांख्यिकी का जनक कहा जाता है। वर्तमान युग में सांख्यिकी को विकसित करने में कार्ल पियर्सन का योगदान सबसे अधिक है।

सांख्यिकी की परिभाषा

1. बाउले – “समंक किसी अनुसंधान के किसी विभाग में तथ्यों का संख्या के रूप में प्रस्तुतीकरण है, जिन्हें एक दूसरे से सम्बन्धित रूप में प्रस्तुत किया जाता है”।

2. फरग्यूसन – “सांख्यिकी वैज्ञानिक विधि यन्त्र की शाखा है जिसका सम्बन्ध सर्वेक्षणों तथा परीक्षणों द्वारा प्राप्त होने वाली सामग्री के संकलन वर्गीकरण और व्याख्या से है”।

3. कानर – “सांख्यिकी किसी प्राकृतिक अथवा सामाजिक समस्या से सम्बन्धित माप की गणना या अनुमान का क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित ढंग है जिससे कि अन्तसम्बन्धों का प्रदर्शन किया जा सके”।

4. वालिस और राबटस – “सांख्यिकी के परिमाणात्मक पहलुओं के संख्यात्मक विवरण है जो मदों की गिनती या माप के रूप में व्यक्त होते हैं”।

5. रोस्को – “सांख्यिकी एक आधुनिक शैक्षणिक संकाय है, जो व्यवहारपरक विज्ञानों में पायी जाने वाली मात्रात्मक सूचनाओं के संकलन, व्यवस्थापन, सरलीकरण और विश्लेषण की वैज्ञानिक प्रक्रिया प्रदान करती है”।

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सांख्यिकी (Statistics) के प्रकार

सांख्यिकी के मुख्यतः दो प्रकार प्रचलित है –

  1. प्राचल सांख्यिकी
  2. अप्राचल सांख्यिकी

1. प्राचल सांख्यिकी – प्राचल सांख्यिकी में सभी के किसी एक विशेष प्राचल से संबंधित होता है तथा आंकड़ों के आधार पर प्राचल के संबंध में अनुमान लगाया जाता है। प्राचल सांख्यिकी में जिस प्रकार के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है वह आंकड़ें न्यादर्श और सामान्य विवरण से संबंधित होते है।

2. अप्राचल सांख्यिकी – अप्राचल सांख्यिकी को वितरण मुक्त सांख्यिकी (Statistics) भी कहा जाता है क्योंकि कुछ आंकड़ें ऐसे भी होते है जहां न तो संयोगिक चयन होता है और न सामान्य वितरण हो। ऐसे आंकड़ों की संख्या कम होने के कारण आकड़ों का स्वरूप रूप बिगड़ा हुआ होता है और इनका एक समग्र के प्राचल से संबंध नहीं होता है। ऐसे आंकडों से संबंधित सांख्यिकी विधियां अप्राचल सांख्यिकी में आती हैं। माध्यिका, सहसंबंध, काई टेस्ट, माध्यिका टेस्ट ये प्रमुख सांख्यिकी विधियां है।

व्यावहारिक सांख्यिकी (Statistics) के मुख्यतः दो प्रकारों में बाट सकते है-

  1. वर्णनात्मक सांख्यिकी
  2. अनुमानिक सांख्यिकी

1. वर्णनात्मक सांख्यिकी – वर्णनात्मक सांख्यिकी (Statistics) में वे विधियां आती है जिनके प्रयोग से किसी न्यादर्श की विशेषताओं का प्राप्त आंकडों के आधार पर वर्णन किया जाता है। इस प्रकार की सांख्यिकी का प्रयोग सांख्यिकी में प्रदत्तों का संकलन, संगठन, प्रस्तुतीकरण एवं परिकलन से होता हैं इसके अंतर्गत प्रदत्तों का संकलन करके सारणीबद्ध किया जाता है और प्रदत्तों की विशेषता स्पष्ट करने के लिए कुछ सरल सांख्यिकीय मानों की गणना की जाती है- जैसे केन्द्रीय प्रवृत्ति के मापकों, विचलन मापकों तथा सहसंबंध आदि का प्रयोग वर्ग की प्रकृति तथा स्थिति आदि जानने के लिए किया जाता है।

2. अनुमानिक सांख्यिकी – अनुमानिक सांख्यिकी (Statistics) विधियां का प्रयोग किसी जनसंख्या से लिये गए न्यादर्श के विशेष में तथ्य एकत्र करके उसके आधार पर जनसंख्या के विषय में निष्कर्ष निकालने के लिए किया जाता है। बहुधा इस सांख्यिकी की सहायता से परिणामों की वैधता जांच की जाती है। बहुधा अनुमान के लिए अपेक्षाकृत उच्च सांख्यिकी विधियों का प्रयोग किया जाता है जैसे सम्भावना नियम, मानक त्रुटि, सार्थकता, परीक्षण आदि। चूंकि समूह विस्तृत होते है तथा इनके सदस्यों की संख्या अधिक होती है अतः अध्ययनकत्र्ता अध्ययन के लिए इन बड़े समूहों से न्यादर्श को चुनकर समस्या का अध्ययन से प्राप्त निष्कर्ष सम्पूर्ण समूह का प्रतिनिधित्व करते है।

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